Shakeel aazmi
Shakeel aazmi

धुआँ धुआँ है फ़ज़ा रौशनी बहुत कम है

सभी से प्यार करो ज़िंदगी बहुत कम है

 

मक़ाम जिस का फ़रिश्तों से भी ज़ियादा था

हमारी ज़ात में वो आदमी बहुत कम है

 

हमारे गाँव में पत्थर भी रोया करते थे

यहाँ तो फूल में भी ताज़गी बहुत कम है

 

जहाँ है प्यार वहाँ सब गिलास ख़ाली हैं

जहाँ नदी है वहाँ तिश्नगी बहुत कम है

 

तुम आसमान पे जाना तो चाँद से कहना

जहाँ पे हम हैं वहाँ चांदनी बहुत कम है

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